दिल्ली के एम्स का 12 करोड़ उड़ाने वाले शातिर गिरफ्तार, अब तक के सबसे बड़े साइबर क्राइम का खुलासा

दिल्ली के एम्स का 12 करोड़ उड़ाने वाले शातिर गिरफ्तार, अब तक के सबसे बड़े साइबर क्राइम का खुलासा


आजमगढ़ की पुलिस ने अब तक के सबसे बड़े साइबर क्राइम का खुलासा किया है। दिल्ली के एम्स अस्पताल का 12 करोड़ समेत कई कंपनियों का लाखों रुपया उड़ाने वाले इंटरनेशनल गैंग का पर्दाफाश किया है। गैंग के सरगना, एसबीआई के बैंक कैशियर सहित पांच शातिरों को पकड़ा गया है। यह गैंग पूर्वी अफ्रीकी देश केन्या के हैकर गैंग से संपर्क कर इंटरनेशनल डेबिट, क्रेडिट कार्ड का डाटा प्राप्त करता था। कार्ड का क्लोन तैयार कर ओटीपी को बाईपास कर खाते से लाखों रुपये उड़ा देता था। महराजगंज क्षेत्र से 85 हजार रुपये उड़ाने की जांच के दौरान पुलिस इन लोगों तक पहुंची। उनके पास से कंप्यूटर व कार्ड तैयार करने का उपकरण, मोबाइल आदि बरामद हुआ। इसके अलावा देश -विदेश के कई लोगों के बैंक डिटेल की जानकारी भी मिली है। 


इस गिरोह ने दिल्ली एम्स के खाते और जिला भूमि पदाधिकारी के बैंक खाते से 12 करोड़ के चेक का क्लोन तैयार कर रुपये उड़ाए थे। गिरोह के सदस्य बैंककर्मी से सेटिंग कर खाताधारक का सिग्नेचर, बैंक स्टेटमेन्ट एवं अन्य डिटेल निकाल कर चेक का क्लोन तैयार करते थे। चेक क्लोनिंग में गिरोह में शामिल बैंक के कर्मचारी सहयोग करते थे। पूछताछ में एक अभियुक्त ने बाताया कि तीन-तीन करोड़ के चार चेक दिल्ली एम्स के लिए तैयार किए गए थे। इसके बाद एक बैंक से इसे कैश किया गया था।


गिरफ्तार लोगों को मीडिया के सामने पेश करते हुए पुलिस ने बताया कि आजमगढ़ के महराजगंज थाने के देवारा तुर्कचार गांव निवासी बलिराम यादव के खाते से कुछ दिनों पूर्व 85 हजार रुपये गायब हो गए थे। पुलिस रिपोर्ट दर्ज कर जांच कर रही थी। 13 दिसम्बर को पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था। पूछताछ के बाद इंटरनेशनल गैंग का खुलासा हुआ। मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने  मऊ जनपद के मोहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के अनुवापार निवासी लक्ष्मण यादव, देवरिया जनपद के भलुवनी थाना क्षेत्र के भैया फूलवरिया गांव निवासी कुलदीप सिंह उर्फ अंश, गोरखपुर जनपद के गगहा थाना क्षेत्र के लखैड़ी सहेरूआ गांव निवासी योगेन्द्र कुमार व संजय तथा नगर कोतवाली थाना क्षेत्र के बदगोन्यु शिवपुरी कालोनी निवासी शशिरंजन मौर्य को गिरफ्तार किया।


पुलिस अधीक्षक त्रिवेणी सिंह ने बताया कि गिरफ्तार शशि रंजन मौर्य भारतीय स्टेट बैंक मझगांवा जनपद गोरखपुर में कैशियर है। वह बैंक से संबन्धित खातों की जानकारी अपने साथियों को देता था। गैंग का सरगना लक्ष्मण यादव ने बताया कि उसका लंबा गैंग हैं। कई ग्राहक सेवा केन्द्र, पैट्रोलपम्प कर्मी, बैंकों के कर्मी एंव इंटरनेशनल हैकर गिरोह के सदस्य हैं। इनकी मदद से विभिन्न प्रकार के साइबर अपराध को अंजाम दिया जाता है। 


कंपनियों को बनाते थे शिकार
पुलिस अधीक्षक त्रिवेण सिंह ने बताया कि गिरफ्तार अपराधी बड़ी कंपनियों को अपना शिकार बनाते थे। बड़े खाताधारक इनके टारगेट पर रहते थे। बैंक के कर्मचारी इन्हें पूरी जानकारी उपलब्ध कराते थे। गिरफ्तार अभियुक्तों का मोबाइल चेक किया गया तो साइबर अपराध से संबन्धित कई हैकर्स व्हाट्सएप ग्रुप पर चैट किए थे। इसमें दो दर्जन से अधिक बैंक खाता संख्या, मोबाइल नम्बर एवं इन्टरनेशनल मोबाइल नम्बर शामिल हैं। इसकी जांच की जा रही है। यह गिरोह आजमगढ़ के साथ ही मऊ, बलिया, देवरिया, गोरखपुर, बिहार सहित अन्य स्थान पर घटना कों अंजाम देता था। हवाई जहाज से अभियुक्त मुंबई, गुजरात, दिल्ली सहित अन्य स्थानों की यात्रा करते थे। 


स्कीमर की सहायता से कार्ड का डाटा करते थे स्कैन
पेट्रोल पम्पों, ग्राहक सेवा केन्द्रों और शांपिग माल में सेटिंग कर वहां आने वाले ग्राहकों के क्रेडिट या डेबिट कार्ड के मैगनेटिक स्ट्रिप का डाटा स्कीमर की सहायता से स्कैन कर लेते हैं। डाटा प्राप्त करने के बाद एमआएस साफ्टवेयर एंव डिवाइस के माध्यम से ब्लैंक कार्ड पर मैगनेटिक स्ट्रिप के डाटा को राइट कर उस कार्ड का क्लोन तैयार कर रुपया निकाल लेते थे।


साफ्टवेयर से अपनी पहचान, लोकेशन को छिपा देते थे जालसाज
साइबर अपराधी अपनी पहचान छुपाने के लिए कंप्यूटर या लैपटाप में वीपीएन और मैक एडेज्स चेन्जर का इस्तेमाल करते थे,जिससे इनकी पहचान व लोकेशन नहीं मिलती थी। इसके बाद विभिन्न वेबसाइटस के माध्यम से इंटरनेशनल एजेंट से विदेशी डेबिट, के्रडिट व ऑन लाइन बैंकिंग का जानकारी लेते थे। पूरी जानकारी मिलने पर आनलाइन खरीदारी करते थे। इसके बाद विदेशी एजेंट को  विटक्वाइन (क्रिप्टो करेंसी) से भुगतान करते थे। 


ओटीपी का करते थे बाइपास
ऑन लाइन खरीदारी व बैंक से मिलने वाले मैसेज व ओटीपी को हैककर बाइपास कर देते थे। ओटीपी खाताधारक के पास न जाकर जालसाजों के पास चली जाती थी। अभियुक्त कुलदीप सिंह व लक्ष्मण यादव ने बताया कि बैंक से ग्राहक की बैंक डिटेल प्राप्त कर इंटरनेशनल हैकर केन्या देश के निवासी डेविड को भेजते थे। वह ग्राहक को ओटीपी दिये बिना ही पैसों का भुगतान, ट्रान्सफर कर देता था, जिससे ग्राहक को पता नहीं चलता था।  इसके बदले केन्या के हैकर को  क्रिप्टो करेंसी मेंे भुगतान करते थे।