चंदौली से पकड़े गए आईएसआई एजेंट राशिद के संपर्की एटीएस की रडार पर

चंदौली से पकड़े गए आईएसआई एजेंट राशिद के संपर्की एटीएस की रडार पर


यूपी एटीएस और आर्मी इंटेलिजेंस के रडार पर आईएसआई एजेंट मो. राशिद के संपर्की भी हैं। राशिद ने देश के कई हिस्सों की तस्वीरें और वीडियो पाक एजेंटों को शेयर किये थे। ऐसे में उसके दूसरे लोगों से भी संपर्क होने की आशंका है। एटीएस ऐसे लोगों को चिह्नित करने में जुटी है।


आर्मी इंटेलिजेंस और एटीएस की टीम ने 16 जनवरी को मो. राशिद के अलावा दो अन्य युवकों को भी उठाया था। उन दोनों को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। 
राशिद का वाराणसी के छित्तूपुर, अजमेर और मुंबई भी उसका आना-जाना था। यहां के लड़कों से भी संपर्क में था। अजमेर में वह अपनी मां से मिलने जाता रहता था। पिता इदरीश अहमद अपने परिवार के साथ इस समय मुंबई में हैं। राशिद वहां भी  जाता रहा है। 


एटीएस उन दो मोबाइल नंबर की भी हिस्ट्री निकाल रही है, जिसके जरिये पाकिस्तान एजेंट व्हाट्सएप चलाते थे। यह यहां किसके पते पर था, यह देखा जा रहा है।मो. राशिद मार्च 2019 से पाकिस्तानी एजेंटों के संपर्क में था लेकिन यहां की स्थानीय खुफिया एजेंसियां इसे पकड़ने में असफल रहीं। जबकि पाकिस्तान आने-जाने वाले लोगों की गतिविधियों पर नजर रखने का निर्देश है। एलआईयू भी इस दिशा में फेल रही। मो. राशिद ने पड़ाव के चौरहट में ही एक प्राइवेट स्कूल से आठवीं तक की शिक्षा ली। इसके बाद पढ़ाई छोड़ दी। पहले कुछ दिन तक सिलाई का काम किया। इसके बाद एक दवा की दुकान पर रहा। फिर वाराणसी के सिगरा क्षेत्र के औरंगाबाद में एक दानिश नामक युवक के साथ फ्लैक्सी बोर्ड के कारोबार में जुटा था। 


बेटा दोषी हो तो मिले सजा : शहजादी बेगम
बेटे राशिद की गिरफ्तारी की खबर सुनकर अपने पिता जब्बार के घर चौरहट आई शहजादी बेगम काफी आहत हैं। उन्होंने कहा कि यदि उसके बेटे ने अपने कौम हिन्दुस्तान से गद्दारी की है, तो उसे सजा मिलनी चाहिए। उसे फांसी पर चढ़ा दिया जाए, तो भी दर्द बर्दाश्त कर लेंगी। लेकिन राशिद अगर निर्दोष है, तो उसे छोड़ दिया जाए। उन्होंने कहा कि उनका बेटा अपने देश के साथ गद्दारी नहीं कर सकता। शहजादी ने बताया कि अब तक कई बार स्थानीय थाना व पुलिस चौकी में जा चुकी हूं, लेकिन बेटे की कोई खबर नहीं मिल रही है। 


दूसरे पति की हो चुकी है मौत
राशिद की मां शहजादी बेगम के दूसरे पति लोहता निवासी सुल्तान का चार साल पहले निधन हो गया है। शहजादी की बेटी मैविस की भी बीमारी से मौत हो चुकी है। शहजादी कुछ सालों से अजमेर शरीफ में जूता चप्पल बेचकर गुजारा कर रही हैं। 


रुपये और मजहब के लिए लड़ने की बात करता था राशिद
एटीएस की गिरफ्त में आये पाकिस्तानी एजेंट राशिद मूल रूप से लंका के छित्तूपुर का रहने वाला था। 15 वर्षों से वह पिता से अलग होकर वह पड़ाव पर रहने लगा था। स्थानीय लोगों के अनुसार वह छित्तूपुर में अक्सर मजहब व रुपये के लिए लड़ने की बात करता था। वह चार महीने पहले छित्तूपुर आया था। 
छित्तूपुर गांव के मोहम्मद  इदरीश ने नूर सफा से दूसरी शादी की है। इससे उसे तीन बेटियां हैं। लोगों ने बताया कि दूसरी शादी के बाद इदरीश और राशिद की मां शहजादी के बीच अक्सर झगड़ा होने लगा। इस कारण राशिद मां के साथ पड़ाव पर रहने लगा, लेकिन वह पिता से मिलने आया करता था। इस दौरान वह क्षेत्र के युवाओं से भी मिलता था। चार महीने पहले वह कुछ देर के लिए घर पर आया था। 


कोई काम नहीं पर जिंदगी आराम की 
राशिद के पिता इदरीश कुछ काम नहीं करते थे। हमेशा घर पर रहते थे। एक साल पहले बेटी की हार्ट सर्जरी कराने के लिए परिवार के साथ मुंबई गये। इसके बाद अब तक नहीं लौटे हैं। लोगों ने बताया कि वह बिना कमाये ही अच्छी जिंदगी जीते थे। इदरीश के घर अक्सर बाहरी लोगों का आना जाना होता था। राशिद के पाकिस्तानी एजेंट होने की बात पता चलने पर छित्तूपुर के लोग दंग रह गए। उनका कहना था कि राशिद पाकिस्तान को सूचनाएं भेज रहा होगा, इसका अंदाज नहीं था। 


एटीएस को मिली तीन दिनों की रिमांड
न्यायालय ने आईएसआई एजेंट राशिद अहमद की तीन दिनों की पुलिस रिमांड मंजूर कर दी है। रविवार को गिरफ्तार किए गए राशिद को यूपी एटीएस ने सोमवार को न्यायालय में पेश किया। अभियुक्त राशिद की तीन दिनों की रिमांड 21 जनवरी को सुबह 10 बजे से स्वीकृत की गई है। रिमांड की अवधि में अभियुक्त से विस्तृत पूछताछ की जाएगी। एटीएस इस दौरान उसके पाकिस्तान कनेक्शन के संबंध में जानकारी हासिल करने का प्रयास करेगी। साथ ही यह पूछा जाएगा कि उसने पाकिस्तान जाने के बाद किन-किन लोगों से मुलाकात की थी। एटीएस राशिद के देश में मौजूद सहयोगियों और साथियों के विषय में भी पूछताछ करेगी। उससे यह जानने का प्रयास भी किया जाएगा कि उसके क्या-क्या 'टारगेट' थे? एटीएस की टीमें राशिद के मोबाइल से प्राप्त डाटा से मिली जानकारी के आधार पर अन्य संदिग्ध लोगों के संबंध में जानकारी जुटा रही है। एटीएस यह भी पता लगाने की कोशिश में है कि राशिद को आईएसआई एजेंटों ने कितने रुपये दिए हैं। 


नाती का आईएसआई कनेक्शन जान चौंक पड़े नाना जब्बार
चौरहट गांव के राशिद की पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई से संबंध के आरोप में गिरफ्तारी से नाना जब्बार व अन्य परिजनों के साथ ग्रामीण भी स्तब्ध हैं। परिजनों का कहना है कि राशिद कब आईएसआई का एजेंट बन गया, इसकी भनक भी किसी को नहीं लगी।  
चौरहट गांव के जब्बार की बड़ी बेटी हसीना का लगभग 30 साल पहले पाकिस्तान के कराची में निकाह हुआ था। दूसरी बेटी शहजादी छित्तूपुर (वाराणसी) के इदरीश अहमद से ब्याही गई। राशिद के जन्म के कुछ दिन बाद ही उसकी मां का तलाक हो गया। कुछ दिन तक शहजादी अपने बेटे राशिद के साथ मायके चौरहट में रही। लोहता (वाराणसी) के सुल्तान से दूसरा निकाह होने के बाद अपने बेटे राशिद को ननिहाल में ही छोड़कर चली गई। राशिद अपने ननिहाल में ही पला-बढ़ा। आठवीं तक की पढ़ाई के बाद राशिद औरंगाबाद (वाराणसी) में फ्लैक्स बोर्ड बनाने वाले एक कारखाने में काम करने लगा। 


राशिद के 16 की शाम न आने पर हुई थी खोजबीन
आईएसआई एजेंट मो. राशिद 16 जनवरी की शाम पड़ाव के चौरहट स्थित घर नहीं आया तो ननिहाल के लोगों ने उसकी काफी खोजबीन की। पूरी रात न आने पर मौसी व अन्य परिजन चंदौली के दीनदयाल नगर थाने से जुड़ी जलीलपुरा पुलिस चौकी पहुंचे। वहां उन्हें जानकारी दी गई कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी से संबंध के शक पर राशिद को खुफिया एजेंसियों ने पकड़ा है। यह सुनते ही सबके होश उड़ गए। 
मौसी रुखसाना बेगम ने बताया कि राशिद रोज अपने काम से वाराणसी जाता था, शाम तक लौट आता था। अक्सर दोपहर बाद ही घर आ जाता था। 16 जनवरी की शाम चार बजे राशिद घर से खाना खाने के बाद निकला। शाम सात बजे तक उसका कहीं पता नहीं चला। शाम सात बजे उसे फोन मिलाया गया तो मोबाइल बंद बताने लगा। पूरा परिवार रात भर परेशान था। अगली सुबह जलीलपुरा चौकी से राशिद के पकड़े जाने की सूचना मिली।  उधर अजमेर में उसकी मां शहजादी बेगम तक सूचना पहुंची तो वह  रविवार सुबह करीब 10 बजे पड़ाव अपने पिता के घर पहुंची। 


अब्बू बोले थे, हमारा वतन यही... हम यहीं मरेंगे : जब्बार
पड़ाव के पास चौरहट नई बस्ती में आईएसआई एजेंट मो. राशिद के नाना जब्बार के घर 16 जनवरी से ही सन्नाटा पसरा है। सोमवार को दो कमरे वाले मकान के बाहर जब्बार, राशिद की मां शहजादी बेगम, मौसी रुखसाना बेगम बैठी मिलीं। टेलरिंग का काम करने वाले मो. जब्बार चौरहट में जाना-पहचाना नाम है। जब्बार टेलर का नाम लेते ही मुहल्ले के लोगों की अंगुली उनकी गली व मकान की ओर मुड़ जाती है। 
जब्बार टेलर और मां शहजादी को अब भी विश्वास नहीं है कि मो. राशिद पाकिस्तानी जासूस के रूप में काम करता था। काफी देर तक चुपचाप बैठे रहे जब्बार का दर्द अचानक फूट पड़ा। बोले, उनके पिता मोहम्मद से तीन बेटे और दो बेटियां थीं। तीन बेटों में वह खुद, उनसे बड़े अब्दुल हसन और सत्तार, बेटियों में शाहजहां और नूरजहां थीं। आजादी के पहले सभी पिता के साथ प्रह्लाद घाट के पास चौहट्टा लाल खां में रहते थे। आजादी के बाद चौरहट में आ बसे। 
जब्बार ने बताया-‘वर्ष 1949 में पिता मोहम्मद के दो भाई और बहनें पाकिस्तान चली गईं। उन्होंने पिता मोहम्मद से भी पाकिस्तान चलने को कहा। तब अब्बू ने कहा था कि हमारा वतन यही है... हम यहीं मरेंगे, इसी मिट्टी में मिलेंगे। फिर पिता के साथ मैं यहीं रह गया। आज ये दिन भी देखना पड़ रहा है।’


तीन माह का था, तभी पिता ने कर ली दूसरी शादी
वाराणसी। मां शाहजादी ने बताया कि राशिद जब  तीन साल का था, तभी पति से तलाक हो गया। उन्होंने दूसरी शादी कर ली। इसके बाद वह मो. राशिद को लेकर पिता के घर चली आई। ननिहाल में रहने वाले मो. राशिद की मां शहजादी पांच बहनें हैं। उनमें एक हसीना कराची में व्याही है। दो बहनें शबनम और शबीना का निकाह राजस्थान के पाली में हुआ है। एक बहन रुखसाना की शादी भोजूबीर के मो. सोनू से हुई है। सोनू यहीं ससुराल में दो साल से रहता है। वह जरी का काम करता है।