धुआं उठते ही रुक जाएगी ट्रेन, कोच में बजेगी खतरे की घंटी

धुआं उठते ही रुक जाएगी ट्रेन, कोच में बजेगी खतरे की घंटी


















‘यात्री गण सावधान। इस कोच में आग लगने का संदेह है। ट्रेन रुक चुकी है। आप गलियारे के रास्ते एक-एक कर नीचे उतर जाएं।


घबराएं नहीं ऐसा किसी ट्रेन में नहीं हुआ है। यह एनाउंसमेंट बोगियों में तब होगा जब कहीं से कोई धुंआ उठेगा। धुंआ उठने पर पहले तो सायरन बजेगा। उसके ठीक 55 सेकेंड बाद ट्रेन खुद-ब-खुद रुक जाएगी। ट्रेन रुकने के साथ ही बोगी खाली करने का एनाउंसमेंट भी शुरू हो जाएगा।


रेल यात्रियों की सुरक्षा के लिए यह अत्याधुनिक उपकरण कहीं और नहीं बल्कि एनई रेलवे के गोरखपुर वर्कशॉप में आ रही एलएचबी की एसी बोगियों में लगाई जा रही है। इस वर्कशॉप में 300 एसी एलएचबी बोगियों में यह आधुनिक उपकरण लगाए जाने हैं। दो बोगियों में इसे लगा भी दिया गया है। इसका ट्रायल भी सफल रहा है।


हर कोच में 18 सेंसर : किसी तरह की कोई चूक न हो और कहीं भी धुंआ उठे तो उसे सेंसर सेंस कर ले, इसके लिए हर कोच में 18 जगहों पर सेंसर लगाए गए हैं। जबकि दरवाजों के पास दो-दो लगाए गए हैं।


बाथरूम में हीट सेंसर : ट्रेन बेवजह खड़ी न हो, इसके लिए बाथरूम में हीट सेंसर लगाए गए हैं। दरअसल कुछ लोग चोरी-छुपे शौचालय में जाकर धूम्रपान करते हैं, जिसे रोक पाना संभव नहीं होता है। ऐसे में अगर वहां यह सेंसर लगा रहेगा तो किसी के भी धूम्रपान करने पर बेवजह ट्रेन खड़ी हो जाएगी।


ऐसे काम करती है डिवाइस


बोगियों में लगे सेंसर डोर के पास बनाए गए कंट्रोल पैनल से कनेक्ट रहते हैं। अगर कोई धुंआ उठता है तो करीब 45 सेकेंड बाद सेंसर धुएं को सेंस कर कंट्रोल पैनल को संदेश भेजता है। कंट्रोल पैनल को सिग्नल मिलते ही सायरन बजने लगता है। इस बीच अगर वह कोई सामान्य धुंआ है और ओबीएसएस स्टाफ इसकी पुष्टि कर लेता है तो वह मॉनीटर का रीसेट बटन दबा देगा। लेकिन अगर 54 सेकेण्ड तक कुछ नहीं हुआ तो 55 वें सेकेंड में ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएगा और ट्रेन जहां है वहीं खड़ी हो जाएगी। ट्रेन के रुक जाने के बाद बोगियों में आग लगने और गलियारे के रास्ते नीचे उतरने का एनाउंसमेंट शुरू हो जाएगा। यह संदेश पूरी बोगी खाली होने तक दोहराता रहेगा।


बोले अधिकारी


वर्कशॉप में अत्याधुनिक उपकरण लगाए जा रहे हैं। इसमें धुंआ उठने के 55वें सेकेण्ड पर ट्रेन खड़ी हो जाएगी। अगर आग लगी है तो उसे बुझाने की कार्रवाई होगी और अगर नहीं तो इसकी पुष्टि के बाद ट्रेन आगे चल पड़ेगी। सुरक्षा मानकों में यह काफी अत्याधुनिक सिस्टम है।


फणीन्द्र कुमार, डिप्टी सीएमई वर्क्स